मनुष्य ऋण क्या है और इससे छूटने का क्या उपाय है?
बिना किसी की सहायता लिए हमारा जीवन निर्वाह नहीं होता| हम दूसरों के बनाए हुए रास्ते पर चलते हैं, दूसरों के बनाए हुए कुए का पानी काम में लेते हैं, दूसरों के लगाए हुए पेड़ पौधों को काम में लेते हैं, दूसरों के द्वारा उत्पन्न किए हुए अन्नादि खाद्य पदार्थों को काम में लेते हैं------------ यह उनका हम पर ऋण है| दूसरों के सुख सुविधा के लिए कुआं खुदवाने से, वापी लगवाने से, बगीचा लगाने से, रास्ता बनवाने से, धर्मशाला बनवाने से, अन्नक्षेत्र चलाने से, हम मनुष्य ऋण से मुक्त हो जाते हैं|
पितृऋण, देवऋण, ऋषिऋण, भूतऋण और मनुष्यऋण - - - - - - - - - ये 5 ऋण गृहस्थ पर लागू होते हैं| जो भगवान के सर्वथा शरण हो जाता है, वह पितर, देवता आदि किसी का भी ऋणी नहीं रहता, सभी ऋणों से छूट जाता है|
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