Saturday, 22 April 2017

गृहस्थ जीवन के धर्म

                      ||नमस्कार||
आज में आपको इस श्लोक का अर्थ बताउगां जो कि गृहस्थ जीवन के धर्मो को बताएगा -----
घर में सब सुखी हैं, पुत्र बुद्धिमान् हैं, पत्नी मीठा बोलने वाली हैं, अच्छे मित्र हैं, अपनी पत्नी का संग हैं, नौकर आग्या मानने वाला हैं, हर रोज अतिथी सत्कार एवं शंकर भगवान् का पूजन होता हैं, पवित्र, सुन्दर एवं स्वादिष्ट खान - पान हें और नित्य ही सन्तों का संग किया जाता हैं ------ ऐसा जो गृहस्थ आश्रम हैं, वह धन्य हैं |
विवाह क्यों करें? क्या विवाह करना आवश्यक हैं?
इस प्रश्न का अगर उत्तर जानना चाहते हो तो हमारे साथ बनें रहिये------ कल आपको इसका उत्तर बताया जाएगा|
                       ||नमस्कार||

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