Friday, 26 January 2018

चन्द्रग्रहण 31जनवरी 2018, बुधवार

  खग्रास चन्द्रग्रहण (बुधवार को 31 जनवरी, 2018 )

माघ पूर्णिमा, बुधवार को 31 जनवरी, 2018 की शाम से यह खग्रास चन्द्रग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। इस ग्रहण की खग्रास आकृति पूरे देश मे दिखाई देगी। यह ग्रहण आसाम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, पूर्वी पश्चिम बंगाल में ही चन्द्र उदय के बाद शुरू होगा। भारत के शेष भाग में इस ग्रहण का आरंभ चन्द्र उदय से पहले ही हो जाएगा। अर्थात यह ग्रहण चन्द्र उदय होने से पहले ही हो जाएगा।

  भारत के इलावा यह ग्रहण कहाँ कहाँ दिखाई देगा?

 भारत के अलावा यह ग्रहण उत्तरी अमरीका, उत्तरी-पुर्वी दक्षिणी अमेरिका में चन्द्र अस्त के साथ ग्रहण समाप्त हो जाएगा अर्थात जब ग्रस्त होगा तो चन्द्र अस्त हो चुका होगा। जबकि पुर्वी यूरोप, एशिया हिन्द महासागर में चन्द्र उदय के समय यह खग्रास ग्रहण शुरू होगा अर्थात भारत के जैसे ही उदय होने से पहले ही अस्त हो जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड में इस खग्रास चन्द्रग्रहण के सभी घटनाक्रम दिखाई देंगे अर्थात ग्रहण शुरू से समाप्त तक।

     समय - भारतीय स्टेट टाइम के अनुसार

             31 जनवरी, 2018 बुधवार

ग्रहण (स्पर्श) आरम्भ - शाम 5:18
खग्रास प्रारम्भ - शाम 6:21
ग्रहण मध्य (परमग्रास) - शाम 6:59
खग्रास समाप्त - शाम 7:37
ग्रहण(मोक्ष) समाप्त - रात 8:41

परमग्रासमान - 1.316

चन्द्र मालिन्य प्रारम्भ - शाम 4:21
चन्द्र क्रांति निर्मल - रात 9:38

भारत मे मुख्य रूप से यह ग्रहण ग्रस्त उदय रूप में देखा जा सकता है। अर्थात चन्द्र उदय होने से पहले ही प्रारम्भ हो चुका होगा। केवल भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों (आसाम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, पूर्वी पश्चिम बंगाल के केवल पुर्वी क्षेत्रो में) में इस ग्रहण का प्रारंभ देखा जा सकेगा। अर्थात जहाँ चन्द्र उदय शाम 5:18 से पहले होगा, वही इस ग्रहण का प्रारंभ दृश्यमान होगा। शेष भारत मे जहाँ चन्द्र उदय शाम 5:18 के बाद होगा वहाँ यह ग्रहण ग्रस्त उदय रूप में देखा जा सकेगा अर्थात वहाँ खग्रास प्रारम्भ से ग्रहण समाप्ति तक का दृश्य दृष्टिगोचर होगा।

                     ग्रहण का पर्वकाल

चन्द्रग्रहण में स्नान, दान, जप आदि का विशेष महात्मय होता है। ग्रहण का पर्वकाल ग्रहण आरम्भ से ग्रहण समाप्ति तक के काल को माना जाता है, क्योंकि यह ग्रहण भारत के सुदूर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर, शेष भारत मे ग्रस्त उदय ही होगा। अतः यहाँ चन्द्र उदय से ग्रहण समाप्ति तक के काल को पर्वकाल माना जाएगा।धर्मपरायण लोगो को चन्द्र उदय को ही ग्रहण आरम्भ मानकर सभी धार्मिक क्रियायों का संपादन व अनुष्ठान करना चाहिए।

                        ग्रहण का सूतक

इस ग्रहण का सूतक 31 जनवरी, 2018 की सुबह 8 बजकर 18 मिनट से ही प्रारम्भ हो जाएगा।

                        ग्रहण राशिफल

यह चन्द्रग्रहण पुष्य और अश्लेषा तथा कर्क राशि कालीन घटित हो रहा है। अतएव इन नक्षत्रों एवं राशि वालो को ग्रहण का फल विशेष रूप से अशुभ और कष्टकारी हो सकता है। जिस राशि के लिए ग्रहण का फल अशुभ बताया हो, वह यथाशक्ति जप, पाठ, ग्रहण शांति के लिए चन्द्र और राहु का जप करे और दानादि द्वारा ग्रहण के अनिष्ट प्रभाव को क्षीण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ग्रहण के बाद औषधि स्नान करने से भी अनिष्ट की शांति होती है। 12 राशियों के लिए इस ग्रहण का शुभ अशुभ फल कैसा रहेगा। -

मेष राशि - कार्य सिद्धि होगी और लाभ प्राप्त होगा।

वृष राशि - धन लाभ होगा और उन्नति होगी।

मिथुन राशि - धन हानि होगी और यात्रा करने को मिलेगी।

कर्क राशि - शारीरिक कष्ट होगा, गुप्त रोग हो सकते है और दुर्घटना होगी।

सिंह राशि - धन हानि हो सकती है और चिंता बानी रहेगी।

कन्या राशि - धन और सुख लाभ होगा।

तुला राशि - रोग उत्पन्न होंगे, कष्ट रहेगा, भय बना रहेगा और संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।

वृश्चिक राशि - कोई चिंता बनी रहेगी और संतान से कष्ट होगा।

धनु राशि - शत्रुभय बना रहेगा, साधारण लाभ प्राप्त होगा और खर्च भी हो जाएगा।

मकर राशि - स्त्री / पति सम्बंधित परेशानी होगी।

कुम्भ राशि - रोग उत्पन्न होंगे, गुप्त चिंता बनी रहेगी और संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।

मीन राशि - खर्च अधिक रहेगा और कार्यो में विलंब होंगे।

    ग्रहणकाल में तथा बाद में क्या करें - क्या न करें?

ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल मे स्नान, दान, जप-पाठ, मंत्र, स्तोत्र-पाठ, मंत्र-सिद्धि, तीर्थस्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कृत्यों का संपादन करना कल्याणकारी होता है। धार्मिक/आस्थावान लोगों को 31 जनवरी को सूर्यास्त से पूर्व ही अपनी राशि के अनुसार अन्न, जल, चावल, सफेद वस्त्र, फलों और दान देने योग्य वस्तुयों का संग्रह करके संकल्प कर लेना चाहिए और ग्रहण (मोक्ष) समाप्त होने के बाद अथवा अगले दिन 1 फरबरी, 2018 को सुबह सूर्य उदय के समय फिर स्नान करके संकल्प पूर्वक ब्राह्मण को अथवा मंदिर में दान देना चाहिए।
              सूतक एवं ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, निद्रा, तेल आदि नही लगाना वर्जित है। झूठ, कपटादि, वृथा-अलाप, मूत्र-पुरषोत्सर्ग अर्थात - मूत्र मार्ग में संक्रमण, नाखून काटने आदि से परहेज़ करना चाहिए। वृद्ध, रोगी, बालक और गर्भवती स्त्रियों को यथा अनुकूल भोजन या दवाई आदि लेने में कोई दोष नही। गर्भवती महिलाओं को ग्रहणकाल में सब्जी काटना, पापड़ सेकना आदि उत्तेजित कार्यो से परहेज़ करना चाहिए तथा धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते हुए प्रश्नचित्त रहे। इससे भावी संतति, स्वस्थ और सद्गुणी होती है। हरिद्वार, प्रयाग, वाराणसी आदि तीर्थो पर स्नानादि का विशेष महात्मय होगा -
         ग्रहणस्पर्शकाले स्नानं मध्ये होमः सुरार्चनम्।
         श्राद्धं च मुच्यमाने दां मुक्ते स्नानमिति क्रमः।।
                         (धर्मसिन्धु)
             अर्थात ग्रहण लग चुकने के समय स्नान करना चाहिए, बीच/मध्य में होम और देवपूजन करना चाहिए और ग्रहण मोक्ष/समाप्ति के समय श्राद्ध और अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान और सर्वमुक्त होने पर स्नान करें- धर्म सिंधु के अनुसार यह क्रम है।
        ग्रहण/सूतक से पहले ही दूध/दही, आचार, चटनी, मुरब्बा में कुशातृण/कुशा रख देना श्रेयस्कर होता है। इससे यह दुषित नही होते। सूखे खाद्य पदार्थो में कुशा डालने की आवश्यकता नहीं होती।
       रोग शांति के लिए ग्रहणकाल में 'श्रीमहामृत्युंजय मन्त्र का जप करना शुभ होता है।

प्रयोग - चांदी/कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चांदी का सिक्का डालकर अपना मुंह देखकर छायापात्र करें और ग्रहण समाप्ति पर वस्त्र, फल व दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करने से क्लिष्ट रोगों से निवृति होती है।

ग्रहण का लोकभविष्य एवं प्रभाव :-

       ग्रहण का मास फल - खग्रास चन्द्रग्रहण माघ मास में घटित होने से माता पिता की सेवा करने वाले, वशिष्ठ गोत्र में उत्पन्न, वेद शास्त्रो का अध्ययन करने वाले साधु संतों और धर्मात्माओं तथा विद्यार्थियों  के लिए कष्टप्रद रहेगा। हाथी घोड़ो में विचित्र रोग उत्पन्न होंगे।

        ग्रहण का वार फल - चन्द्रग्रहण बुधवार को घटित होने से चावल आदि सभी धान्यों को हानि होगी, सोना, पीतल आदि धातुएं तेज होंगी। सुपारी, मजीठ, घी, तेल, लाल रंग की वस्तुएं आदि का संग्रह करने से लाभ होगा। पीतधातुमहार्घत्वं सारधान्यं विनश्यति।

         ग्रहण नक्षत्र फल - चन्द्रग्रहण पुष्य तथा आश्लेषा नक्षत्र में घटित होने से रुई, चावल, सुपारी, गुड़, चीनी, गेहू, आदि के भाव तेज होंगे। व्यापारी वर्ग को लाभ होगा, परंतु गुरुजनों, कारीगरों, लकड़ी से संबंधित काम करने वालों, साधु, यज्ञ करने वालों तथा जल/तरल पदार्थों से सम्बंधित कार्य करने वालों को कष्ट होगा। जहाँ-जहाँ ग्रहण ग्रस्त उदय होगा, वहाँ उपद्रव, अराजकता और ब्राह्मणों में भय बना रहेगा।
         उदितः संग्रहः सूर्यश्चंद्रमा यदि वा भवेत्।
         राज्ययुद्धं प्रजानाशं सर्वग्रस्तोऽतिदुःखद:।।

         ग्रहण योग फल - आयुष्मान योग में चन्द्रग्रहण घटित होने से प्रजा (जनता), पशु-पक्षी आदि वन्य जीवों, सैनिकों, बहुत समय से धन/धान्य को इकठ्ठा करने वालों को पीड़ा होगी।
https://youtu.be/lnOEUotiOVU


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