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चैत्र मास कृष्ण पक्ष 2 मार्च से 17 मार्च तक
सूर्य उत्तरायण, दक्षिण गोल, वसंत ऋतु
प्रतिपदा - 2 मार्च - वसंत उत्सव, होला - मेला (श्री आनंदपुर साहिब व पौंटा साहिब), होली पर्व, ध्वजारोहण, दुलण्डी, होलिका विभूति धारण, धूलिवंदन, आम्र कुसुम प्राशन
द्वितीया - 3 मार्च - संत तुकाराम जयंती
तृतीया - 4 मार्च
चतुर्थी - 5 मार्च - श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, श्रीभगवान नारायण जयंती
पंचमी - 6 मार्च - श्रीरंग पंचमी, मेला नवचंडी (मेरठ) शुरू, मेला गुरु रामराय (देहरादून)
षष्ठी - 7 मार्च - एकनाथ षष्ठी
सप्तमी - 8 मार्च - शीतला सप्तमी
अष्टमी - 9 मार्च - श्री शीतला अष्टमी व्रत
नवमी - 10 मार्च
नवमी - 11 मार्च
दशमी - 12 मार्च
एकादशी - 13 मार्च - पापमोचनी एकादशी व्रत
द्वादशी - 14 मार्च - चैत्र सक्रांति पुण्यकाल दोपहर के बाद, प्रदोष व्रत
त्रयोदशी - 15 मार्च - वारुणी योग, मासशिवरात्री व्रत
चतुर्दशी - 16 मार्च - मेला पृथूदक - पिहोवा तीर्थ (हरियाणा)
अमावस्या - 17 मार्च - चैत्र अमावस (स्नान दान आदि के लिए) विक्रम संवत २०७४ पूर्ण।
पंचक
15 मार्च 4:13AM से 19 मार्च 8:09AM तक।
गण्डमूल
9 मार्च 12:45AM से 11 मार्च 6:28 तक।
भद्रे
4 मार्च 1:44PM से 5 मार्च 1:08 तक।
8 मार्च 2:01AM से 8 मार्च 2:53PM तक।
11 मार्च 9:55PM से 12 मार्च 11:14AM तक।
15 मार्च 5:20PM से 16 मार्च 5:49AM तक।
इस पक्ष की प्रतिपदा 2 मार्च को परम्परा के अनुसार पूरे देश में पिछले दिन होलिका दहन के बाद होली पर्व मनाया जाएगा, विशेषकर मथुरा-वृंदावन में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। और श्री आनंदपुर साहिब में और पौंटा साहिब में होला महला मनाया जाएगा।
द्वितिया 3 मार्च को संत तुकाराम जी की जयंती मनाई जाएगी।
5 मार्च को श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेश भगवान का पूजन करने से और (ॐ गं गणपतये नमः) इस मंत्र का जप करने से विघ्न दूर होते है और मनोकामनायों की पूर्ति होती है तथा पुत्र-पौत्रादि की समृद्धि होती है। और इस दिन श्रीभगवान नारायण की जयंती भी है।
6 मार्च को श्रीरंग पंचमी है और मेला नवचंडी मेरठ में शुरू हो रहा है और इसी दिन देहरादून ने गुरु रामराय जी का मेला भी है।
7 मार्च को एकनाथ षष्ठी है।
8 मार्च को शीतला सप्तमी है।
9 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत है।
पापमोचनी एकादशी 13 मार्च का व्रत विधि अनुसार रखने से ज्ञात अज्ञात सभी अनिष्ट पापों से निवृति होती है।
14 मार्च को चैत्र सक्रांति और प्रदोष व्रत है।
15 मार्च को वारुणी पर्व पर तीर्थ स्थान पर स्नान करने का और दान करने का विशेष महत्व होता है। इसका महात्मय ग्रहण के बराबर ही होता है और इसी दिन 15 मार्च को मास शिवरात्रि का व्रत भी है।
16 मार्च चतुर्दशी को पिहोवा, कुरुक्षेत्र में मेला पृथूदक पितरों के लिए बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। इसमें त्रयोदशी को अर्थात एक दिन पहले को शाम के समय नदी अथवा कुएं के किनारे पर तेल के दीपक जलाएं जाते है। और अगले दिन पितरों के निमित्त पिण्ड दान कर पीपल के वृक्ष को जल दिया जाता है और कच्चा सूत पीपल वृक्ष को बांधा जाता है और फिर कार्तिकेय को तेल भी चढ़ाया जाता है।
17 मार्च चैत्र अमावस्या को स्नान दान आदि का विशेष महत्व होता है और इस दिन 17 मार्च को विक्रम संवत २०७४ भी पूर्ण हो जाएगा। अर्थात 18 मार्च को भारतीय नया साल शुरू होगा। नए साल के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
चैत्र सक्रांति - 14 मार्च, बुधवार को रात्रि 11 बजकर 42 मिनट पर वृश्चिक लग्न में प्रवेश करेगी। ३० मुहर्ती इस सक्रांति का पुण्यकाल दोपहर के बाद होगा। वर के अनुसार मंदाकिनी और नक्षत्र के अनुसार महोदरी नामक यह सक्रांति राजनेताओं और भ्रष्ट लोगो के लिए लाभप्रद रहेगी।
ग्रहगोचर -
भौम सौरीश्चेकराशौद्वयो स्थिते यदि।
दुर्भिक्षं राज्यभंगं च मेदिन्यामग्नितो भयम्।।
7 मार्च को मंगल धनु राशि मे आकर शनि के साथ योग करेगा। मंगल-शनि योग बनने से देश मे कही पर जलप्रकोप, कही दुर्भिक्ष और अनाज में कमी होगी। कही पर राज्यभंग और हिंसक घटनाएँ घटित होंगी, कही पर अग्निकांड अथवा प्राकृतिक प्रकोप से जन, धन आदि की क्षति होगी। सामान्य लोगों में महंगाई के कारण गहरा असंतोष और क्रोध की भावना सरकार के खिलाफ होगी। 9 मार्च को तुलाराशि में गुरु वक्री होने से बर्तन, सुगंधित पदार्थों, इत्र आदि और कपास, नमक, घी में मंदी बनेगी। परन्तु 8-10 दिनों के बाद दो गुणा लाभ प्राप्त हो सकता है।
आकाश लक्षण - चैत्र मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा और अमावस्या को वर्षा या बूंदा-बांदी होना, आगामी फसल के लिए अच्छे संकेत है।
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चैत्र मास कृष्ण पक्ष 2 मार्च से 17 मार्च तक
सूर्य उत्तरायण, दक्षिण गोल, वसंत ऋतु
प्रतिपदा - 2 मार्च - वसंत उत्सव, होला - मेला (श्री आनंदपुर साहिब व पौंटा साहिब), होली पर्व, ध्वजारोहण, दुलण्डी, होलिका विभूति धारण, धूलिवंदन, आम्र कुसुम प्राशन
द्वितीया - 3 मार्च - संत तुकाराम जयंती
तृतीया - 4 मार्च
चतुर्थी - 5 मार्च - श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, श्रीभगवान नारायण जयंती
पंचमी - 6 मार्च - श्रीरंग पंचमी, मेला नवचंडी (मेरठ) शुरू, मेला गुरु रामराय (देहरादून)
षष्ठी - 7 मार्च - एकनाथ षष्ठी
सप्तमी - 8 मार्च - शीतला सप्तमी
अष्टमी - 9 मार्च - श्री शीतला अष्टमी व्रत
नवमी - 10 मार्च
नवमी - 11 मार्च
दशमी - 12 मार्च
एकादशी - 13 मार्च - पापमोचनी एकादशी व्रत
द्वादशी - 14 मार्च - चैत्र सक्रांति पुण्यकाल दोपहर के बाद, प्रदोष व्रत
त्रयोदशी - 15 मार्च - वारुणी योग, मासशिवरात्री व्रत
चतुर्दशी - 16 मार्च - मेला पृथूदक - पिहोवा तीर्थ (हरियाणा)
अमावस्या - 17 मार्च - चैत्र अमावस (स्नान दान आदि के लिए) विक्रम संवत २०७४ पूर्ण।
पंचक
15 मार्च 4:13AM से 19 मार्च 8:09AM तक।
गण्डमूल
9 मार्च 12:45AM से 11 मार्च 6:28 तक।
भद्रे
4 मार्च 1:44PM से 5 मार्च 1:08 तक।
8 मार्च 2:01AM से 8 मार्च 2:53PM तक।
11 मार्च 9:55PM से 12 मार्च 11:14AM तक।
15 मार्च 5:20PM से 16 मार्च 5:49AM तक।
इस पक्ष की प्रतिपदा 2 मार्च को परम्परा के अनुसार पूरे देश में पिछले दिन होलिका दहन के बाद होली पर्व मनाया जाएगा, विशेषकर मथुरा-वृंदावन में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। और श्री आनंदपुर साहिब में और पौंटा साहिब में होला महला मनाया जाएगा।
द्वितिया 3 मार्च को संत तुकाराम जी की जयंती मनाई जाएगी।
5 मार्च को श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेश भगवान का पूजन करने से और (ॐ गं गणपतये नमः) इस मंत्र का जप करने से विघ्न दूर होते है और मनोकामनायों की पूर्ति होती है तथा पुत्र-पौत्रादि की समृद्धि होती है। और इस दिन श्रीभगवान नारायण की जयंती भी है।
6 मार्च को श्रीरंग पंचमी है और मेला नवचंडी मेरठ में शुरू हो रहा है और इसी दिन देहरादून ने गुरु रामराय जी का मेला भी है।
7 मार्च को एकनाथ षष्ठी है।
8 मार्च को शीतला सप्तमी है।
9 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत है।
पापमोचनी एकादशी 13 मार्च का व्रत विधि अनुसार रखने से ज्ञात अज्ञात सभी अनिष्ट पापों से निवृति होती है।
14 मार्च को चैत्र सक्रांति और प्रदोष व्रत है।
15 मार्च को वारुणी पर्व पर तीर्थ स्थान पर स्नान करने का और दान करने का विशेष महत्व होता है। इसका महात्मय ग्रहण के बराबर ही होता है और इसी दिन 15 मार्च को मास शिवरात्रि का व्रत भी है।
16 मार्च चतुर्दशी को पिहोवा, कुरुक्षेत्र में मेला पृथूदक पितरों के लिए बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। इसमें त्रयोदशी को अर्थात एक दिन पहले को शाम के समय नदी अथवा कुएं के किनारे पर तेल के दीपक जलाएं जाते है। और अगले दिन पितरों के निमित्त पिण्ड दान कर पीपल के वृक्ष को जल दिया जाता है और कच्चा सूत पीपल वृक्ष को बांधा जाता है और फिर कार्तिकेय को तेल भी चढ़ाया जाता है।
17 मार्च चैत्र अमावस्या को स्नान दान आदि का विशेष महत्व होता है और इस दिन 17 मार्च को विक्रम संवत २०७४ भी पूर्ण हो जाएगा। अर्थात 18 मार्च को भारतीय नया साल शुरू होगा। नए साल के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
चैत्र सक्रांति - 14 मार्च, बुधवार को रात्रि 11 बजकर 42 मिनट पर वृश्चिक लग्न में प्रवेश करेगी। ३० मुहर्ती इस सक्रांति का पुण्यकाल दोपहर के बाद होगा। वर के अनुसार मंदाकिनी और नक्षत्र के अनुसार महोदरी नामक यह सक्रांति राजनेताओं और भ्रष्ट लोगो के लिए लाभप्रद रहेगी।
ग्रहगोचर -
भौम सौरीश्चेकराशौद्वयो स्थिते यदि।
दुर्भिक्षं राज्यभंगं च मेदिन्यामग्नितो भयम्।।
7 मार्च को मंगल धनु राशि मे आकर शनि के साथ योग करेगा। मंगल-शनि योग बनने से देश मे कही पर जलप्रकोप, कही दुर्भिक्ष और अनाज में कमी होगी। कही पर राज्यभंग और हिंसक घटनाएँ घटित होंगी, कही पर अग्निकांड अथवा प्राकृतिक प्रकोप से जन, धन आदि की क्षति होगी। सामान्य लोगों में महंगाई के कारण गहरा असंतोष और क्रोध की भावना सरकार के खिलाफ होगी। 9 मार्च को तुलाराशि में गुरु वक्री होने से बर्तन, सुगंधित पदार्थों, इत्र आदि और कपास, नमक, घी में मंदी बनेगी। परन्तु 8-10 दिनों के बाद दो गुणा लाभ प्राप्त हो सकता है।
आकाश लक्षण - चैत्र मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा और अमावस्या को वर्षा या बूंदा-बांदी होना, आगामी फसल के लिए अच्छे संकेत है।
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