चैत्र मास शुक्ल पक्ष 18 मार्च से 31 मार्च तक
सूर्य उत्तरायण, दक्षिण-उत्तर गोल, वसंत ऋतु
प्रतिपदा - 18 मार्च - 'विरोधकृत' नाम विक्रम संवत 2075 शुरू, चैत्र(वसंत ऋतु) नवरात्रे शुरू, घटस्थापन, संवत्सर फल श्रवण, ध्वजारोहण, तैलाभ्यङ्ग, श्रीदुर्गा-पूजा, ज्योतिष दिवस, निम्बपत्र प्राशन, गुड़ी पड़वा, चन्द्र व्रत
द्वितिया - 19 मार्च - चन्द्रदर्शन
तृतीया - 20 मार्च - गणगौर गौरी तृतीया, श्रीमत्स्य जयंती, रज्जब (मुस्लिम) मास शुरू, उत्तर गोल शुरू, महाविषुव दिवस, आंदोलन तृतीया
चतुर्थी - 21 मार्च - दमनक-चतुर्थी, श्री (लक्ष्मी)पंचमी, (चतुर्थी विद्धा)
पंचमी - 22 मार्च - नाग पंचमी, स्कंद षष्ठी व्रत, शक चैत्र चैत्र और सन् 1940 शुरू
षष्ठी - 23 मार्च
सप्तमी - 24 मार्च - श्रीदुर्गाष्टमी सुबह 10:06 के बाद, भवान्युत्पति, अशोक अष्टमी, मेला बाहूफोर्ट (जम्मू) - कंगददेवी, नैनादेवी हिमाचल प्रदेश 2 दिन
अष्टमी - 25 मार्च - श्रीराम नवमी, नवरात्रे समाप्त
नवमी - नवमी तिथि का क्षय है।
दशमी - 26 मार्च - नवरात्र - पारणा
एकादशी - 27 मार्च - कामदा एकादशी व्रत, लक्ष्मीकांत दोल उत्सव
द्वादशी - 28 मार्च - श्रीविष्णु दमन उत्सव
त्रयोदशी - 29 मार्च - प्रदोष व्रत, श्रीमहावीर जयंती (जैन), अनंग त्रयोदशी
चतुर्दशी - 30 मार्च - श्रीशिव दमन उत्सव, श्रीसत्यनारायण व्रत, good friday ( christian)
पूर्णिमा - 31 मार्च - चैत्र पूर्णिमा (स्नान दान आदि के लिए विशेष), श्रीहनुमान जयंती(दक्षिण भारत), वैशाख स्नान शुरू
पंचक
15 मार्च 4:13AM से 19 मार्च 8:09AM तक।
गंडमूल
18 मार्च 8:10PM से 19 मार्च 8:09PM तक।
28 मार्च 10:01AM से 29 मार्च 8:39AM तक।
भद्रे
21 मार्च 4:10AM से 21 मार्च 3:29PM तक।
24 मार्च 10:05AM से 24 मार्च 9:05PM तक।
27 मार्च 2:38PM से 28 मार्च 1:32AM तक।
30 मार्च 7:35PM से 31 मार्च 6:51AM तक।
चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 18 मार्च रविवार से शिवविंशति का विरोधकृत नामक नया विक्रम संवत 2075 शुरू होगा। चैत्र मास शुक्ल पक्ष से संकल्प में व्रत, अनुष्ठान और दान आदि सभी कार्यो में विरोधकृत नाम के इस संवत्सर का ही प्रयोग होगा। इस विरोधकृत संवत्सर के राजा सूर्य और मंत्री शनि दोनों आपस में विरोधी शत्रु ग्रह होने से नेतायों, प्रशासकों और लोगो मे परस्पर वैर-विरोध, टकराव और होड़ की भावनाएं अधिक प्रबल होंगी। सामान्य लोगो मे कठोर सरकारी नीतियों के कारण असुरक्षा, गहन असंतोष तथा क्रोध की भावना होगी।
चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक 18 से 25 मार्च तक प्रतिदिन श्रीदुर्गा और श्रीगणेश प्रतिमा के सामने शुद्ध चित्त होकर मंत्र पूर्वक कलश स्थापन और ज्योति प्रज्वलित करनी चाहिए और संकल्प पूर्वक श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ का आरंभ करने का विधान है। प्रतिपदा को ही ताम्र(तांबे) या मिट्टी के पात्र में अथवा नीचे ही शुद्ध जमीन पर ईशान कोण में अर्थात पूर्व और उत्तर के मध्य में शुद्ध रेत डालकर उसमे जौ के बीज बोने चाहिए और उस रेत को गीला कर अथवा छीटे देकर स्वस्ति वाचन आदि मंगल मंत्र पढ़ने चाहिए। नवग्रह आदि पूजन के बाद दुर्गा पूजन करके ब्राह्मण अथवा श्रेष्ठ पूज्यमान या अपने गुरुदेव से संवत्सर का फल और राजा और मंत्री का फल सुनना चाहिए। और नव संवत से नवरात्रों के व्रतों का आरंभ करें। अन्तिम नवरात्रे पर 26 मार्च को दशमी के दिन क्योंकि नवमी तिथि का क्षय है इस लिए दशमी को 26 मार्च को पूजन अर्चन के बाद कलश वाली हरे जौ को अपने पास रखना चाहिए और कलश के जल से पूरे घर मे छीटें दे और जो बच जाए उससे नहा सकते है।
18 मार्च प्रतिपदा को नवरात्रे शुरू हो जाएंगे और ध्वजारोहण भी इस दिन किया जाएगा और 18 मार्च को ही ज्योतिष दिवस भी है।
20 मार्च को गणगौरी तृतीया है, श्री मत्स्य जयंती भी इस दिन है और मुस्लिम महीना रज्जब भी शुरू हो जाएगा और महाविषुव दिवस भी इसी दिन है 20 मार्च को।
21 मार्च दमनक चतुर्थी है और श्री लक्ष्मी पंचमी है क्योंकि पंचमी तिथि दोपहर 3:28 पर शुरू हो जाएगी।
22 मार्च को नाग पंचमी है। स्कन्द षष्ठी है क्योंकि षष्ठी तिथि 22 मार्च को दोपहर 1:51 पर शुरू हो जाएगी, तो स्कन्द षष्ठी भी 22 मार्च को है और शक चैत्र सन् 1940 भी शुरू हो जाएगा।
24 मार्च को दुर्गाष्टमी सुबह 10:06 के बाद है और अशोकाष्टमी है और बाहूफोर्ट जम्मू में, कांगड़ा देवी और नैनादेवी हिमाचल प्रदेश में नवरात्रो का मेला भी होगा।
25 मार्च को रामनवमी है क्योंकि नवमी तिथि का क्षय है तो 25 मार्च अष्टमी को ही राम नवमी है और नवरात्रे भी समाप्त हो जाएंगे
26 मार्च को नवरात्रो का पारण किया जाएगा अर्थात नवरात्रो के व्रत खोले जाएंगे।
27 मार्च को कामदा एकादशी का व्रत है और लक्ष्मीकांत दोलो उत्सव है।
28 मार्च को श्री विष्णु दमन उत्सव है।
29 मार्च को प्रदोष व्रत और अनंग त्रयोदशी है और श्रीमहावीर जयंती है जैन धर्म में।
30 मार्च को श्रीशिव दमन उत्सव और श्री सत्यनारायण व्रत करने के लिए उत्तम दिन है और क्रिस्चियन धर्म मे गुड फ्राइडे है।
31 मार्च को चैत्र पूर्णिमा है और वैशाख माह का स्नान भी शुरू हो जाएगा। और श्री हनुमान जयंती है। हनुमान जयंती की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
लोक भविष्य -
राजा-रवि, मंत्री शनि, पितापुत्र-संयोग।
युद्ध-उपद्रव-अग्निभय जग में बढ़ेंगे रोग।।
इस चंद्र मास में पांच शुक्रवार और पांच शनिवार है और शुक्र दुर्गेश है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी, शत्रु देश से सचेष्ट रहना होगा। शनि को इस संवत का मंत्रिपद प्राप्त है, अतः आंतरिक, राजनैतिक और साम्प्रदायिक मतभेद शासकों को भारी परेशानी में डाल देंगे और कुछ प्रान्तों और देश विदेश में युद्धमय वातावरण बनेगा और किन्हीं जगहों पर भूकंप, अग्निकांड और प्राकृतिक प्रकोप और रोग विशेषरूप से हानि पहुचायेंगे।
ग्रहचाल और बाजार का रुख - इस पक्ष के आरंभ में सूत, सोना, रुई, घी, गुड़, खंड, शक्कर, तिलहन, जौं, चना तेज रहेंगे। लगभग 22 मार्च से 30 मार्च तक प्रत्येक व्यापारिक वस्तुयों में उठा-पटक के बाद तेजी रहेगी। 26 मार्च के बाद सोना-चांदी में जोरदार तेजी का झटका लगेगा।
आकाश लक्षण - हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू, हरियाणा और उत्तरी भारत के कुछ क्षेत्रों में धूल भरी तेज़ हवाओं और बेमौसमी वर्षा से खड़ी फसलों को हानि होगी।
शकुन - कुरुतेस्वर्घं गोधूमस्यघृतस्य च। अर्थात जो पिछला पक्ष था अर्थात चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मंगलवार होने से गेंहू आदि आनाज, घी महंगे होंगे।
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सूर्य उत्तरायण, दक्षिण-उत्तर गोल, वसंत ऋतु
प्रतिपदा - 18 मार्च - 'विरोधकृत' नाम विक्रम संवत 2075 शुरू, चैत्र(वसंत ऋतु) नवरात्रे शुरू, घटस्थापन, संवत्सर फल श्रवण, ध्वजारोहण, तैलाभ्यङ्ग, श्रीदुर्गा-पूजा, ज्योतिष दिवस, निम्बपत्र प्राशन, गुड़ी पड़वा, चन्द्र व्रत
द्वितिया - 19 मार्च - चन्द्रदर्शन
तृतीया - 20 मार्च - गणगौर गौरी तृतीया, श्रीमत्स्य जयंती, रज्जब (मुस्लिम) मास शुरू, उत्तर गोल शुरू, महाविषुव दिवस, आंदोलन तृतीया
चतुर्थी - 21 मार्च - दमनक-चतुर्थी, श्री (लक्ष्मी)पंचमी, (चतुर्थी विद्धा)
पंचमी - 22 मार्च - नाग पंचमी, स्कंद षष्ठी व्रत, शक चैत्र चैत्र और सन् 1940 शुरू
षष्ठी - 23 मार्च
सप्तमी - 24 मार्च - श्रीदुर्गाष्टमी सुबह 10:06 के बाद, भवान्युत्पति, अशोक अष्टमी, मेला बाहूफोर्ट (जम्मू) - कंगददेवी, नैनादेवी हिमाचल प्रदेश 2 दिन
अष्टमी - 25 मार्च - श्रीराम नवमी, नवरात्रे समाप्त
नवमी - नवमी तिथि का क्षय है।
दशमी - 26 मार्च - नवरात्र - पारणा
एकादशी - 27 मार्च - कामदा एकादशी व्रत, लक्ष्मीकांत दोल उत्सव
द्वादशी - 28 मार्च - श्रीविष्णु दमन उत्सव
त्रयोदशी - 29 मार्च - प्रदोष व्रत, श्रीमहावीर जयंती (जैन), अनंग त्रयोदशी
चतुर्दशी - 30 मार्च - श्रीशिव दमन उत्सव, श्रीसत्यनारायण व्रत, good friday ( christian)
पूर्णिमा - 31 मार्च - चैत्र पूर्णिमा (स्नान दान आदि के लिए विशेष), श्रीहनुमान जयंती(दक्षिण भारत), वैशाख स्नान शुरू
पंचक
15 मार्च 4:13AM से 19 मार्च 8:09AM तक।
गंडमूल
18 मार्च 8:10PM से 19 मार्च 8:09PM तक।
28 मार्च 10:01AM से 29 मार्च 8:39AM तक।
भद्रे
21 मार्च 4:10AM से 21 मार्च 3:29PM तक।
24 मार्च 10:05AM से 24 मार्च 9:05PM तक।
27 मार्च 2:38PM से 28 मार्च 1:32AM तक।
30 मार्च 7:35PM से 31 मार्च 6:51AM तक।
चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 18 मार्च रविवार से शिवविंशति का विरोधकृत नामक नया विक्रम संवत 2075 शुरू होगा। चैत्र मास शुक्ल पक्ष से संकल्प में व्रत, अनुष्ठान और दान आदि सभी कार्यो में विरोधकृत नाम के इस संवत्सर का ही प्रयोग होगा। इस विरोधकृत संवत्सर के राजा सूर्य और मंत्री शनि दोनों आपस में विरोधी शत्रु ग्रह होने से नेतायों, प्रशासकों और लोगो मे परस्पर वैर-विरोध, टकराव और होड़ की भावनाएं अधिक प्रबल होंगी। सामान्य लोगो मे कठोर सरकारी नीतियों के कारण असुरक्षा, गहन असंतोष तथा क्रोध की भावना होगी।
चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक 18 से 25 मार्च तक प्रतिदिन श्रीदुर्गा और श्रीगणेश प्रतिमा के सामने शुद्ध चित्त होकर मंत्र पूर्वक कलश स्थापन और ज्योति प्रज्वलित करनी चाहिए और संकल्प पूर्वक श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ का आरंभ करने का विधान है। प्रतिपदा को ही ताम्र(तांबे) या मिट्टी के पात्र में अथवा नीचे ही शुद्ध जमीन पर ईशान कोण में अर्थात पूर्व और उत्तर के मध्य में शुद्ध रेत डालकर उसमे जौ के बीज बोने चाहिए और उस रेत को गीला कर अथवा छीटे देकर स्वस्ति वाचन आदि मंगल मंत्र पढ़ने चाहिए। नवग्रह आदि पूजन के बाद दुर्गा पूजन करके ब्राह्मण अथवा श्रेष्ठ पूज्यमान या अपने गुरुदेव से संवत्सर का फल और राजा और मंत्री का फल सुनना चाहिए। और नव संवत से नवरात्रों के व्रतों का आरंभ करें। अन्तिम नवरात्रे पर 26 मार्च को दशमी के दिन क्योंकि नवमी तिथि का क्षय है इस लिए दशमी को 26 मार्च को पूजन अर्चन के बाद कलश वाली हरे जौ को अपने पास रखना चाहिए और कलश के जल से पूरे घर मे छीटें दे और जो बच जाए उससे नहा सकते है।
18 मार्च प्रतिपदा को नवरात्रे शुरू हो जाएंगे और ध्वजारोहण भी इस दिन किया जाएगा और 18 मार्च को ही ज्योतिष दिवस भी है।
20 मार्च को गणगौरी तृतीया है, श्री मत्स्य जयंती भी इस दिन है और मुस्लिम महीना रज्जब भी शुरू हो जाएगा और महाविषुव दिवस भी इसी दिन है 20 मार्च को।
21 मार्च दमनक चतुर्थी है और श्री लक्ष्मी पंचमी है क्योंकि पंचमी तिथि दोपहर 3:28 पर शुरू हो जाएगी।
22 मार्च को नाग पंचमी है। स्कन्द षष्ठी है क्योंकि षष्ठी तिथि 22 मार्च को दोपहर 1:51 पर शुरू हो जाएगी, तो स्कन्द षष्ठी भी 22 मार्च को है और शक चैत्र सन् 1940 भी शुरू हो जाएगा।
24 मार्च को दुर्गाष्टमी सुबह 10:06 के बाद है और अशोकाष्टमी है और बाहूफोर्ट जम्मू में, कांगड़ा देवी और नैनादेवी हिमाचल प्रदेश में नवरात्रो का मेला भी होगा।
25 मार्च को रामनवमी है क्योंकि नवमी तिथि का क्षय है तो 25 मार्च अष्टमी को ही राम नवमी है और नवरात्रे भी समाप्त हो जाएंगे
26 मार्च को नवरात्रो का पारण किया जाएगा अर्थात नवरात्रो के व्रत खोले जाएंगे।
27 मार्च को कामदा एकादशी का व्रत है और लक्ष्मीकांत दोलो उत्सव है।
28 मार्च को श्री विष्णु दमन उत्सव है।
29 मार्च को प्रदोष व्रत और अनंग त्रयोदशी है और श्रीमहावीर जयंती है जैन धर्म में।
30 मार्च को श्रीशिव दमन उत्सव और श्री सत्यनारायण व्रत करने के लिए उत्तम दिन है और क्रिस्चियन धर्म मे गुड फ्राइडे है।
31 मार्च को चैत्र पूर्णिमा है और वैशाख माह का स्नान भी शुरू हो जाएगा। और श्री हनुमान जयंती है। हनुमान जयंती की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
लोक भविष्य -
राजा-रवि, मंत्री शनि, पितापुत्र-संयोग।
युद्ध-उपद्रव-अग्निभय जग में बढ़ेंगे रोग।।
इस चंद्र मास में पांच शुक्रवार और पांच शनिवार है और शुक्र दुर्गेश है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी, शत्रु देश से सचेष्ट रहना होगा। शनि को इस संवत का मंत्रिपद प्राप्त है, अतः आंतरिक, राजनैतिक और साम्प्रदायिक मतभेद शासकों को भारी परेशानी में डाल देंगे और कुछ प्रान्तों और देश विदेश में युद्धमय वातावरण बनेगा और किन्हीं जगहों पर भूकंप, अग्निकांड और प्राकृतिक प्रकोप और रोग विशेषरूप से हानि पहुचायेंगे।
ग्रहचाल और बाजार का रुख - इस पक्ष के आरंभ में सूत, सोना, रुई, घी, गुड़, खंड, शक्कर, तिलहन, जौं, चना तेज रहेंगे। लगभग 22 मार्च से 30 मार्च तक प्रत्येक व्यापारिक वस्तुयों में उठा-पटक के बाद तेजी रहेगी। 26 मार्च के बाद सोना-चांदी में जोरदार तेजी का झटका लगेगा।
आकाश लक्षण - हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू, हरियाणा और उत्तरी भारत के कुछ क्षेत्रों में धूल भरी तेज़ हवाओं और बेमौसमी वर्षा से खड़ी फसलों को हानि होगी।
शकुन - कुरुतेस्वर्घं गोधूमस्यघृतस्य च। अर्थात जो पिछला पक्ष था अर्थात चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मंगलवार होने से गेंहू आदि आनाज, घी महंगे होंगे।
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