कृष्णा एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि
और माहात्म्य क्या है?
कथा वीडियो – https://youtu.be/1_qtNVspMvo
भगवान् श्रीकृष्ण कहने लगे कि सब प्रकार के समस्त
पापों को नाश करने वाली इस एकादशी का नाम
अजा एकादशी है। इसके व्रत को करने से मनुष्य
सब पापों से मुक्त हो जाता है। जो मनुष्य इस दिन
भगवान् हृषिकेश का पूजन करता है, उसको
अवश्य बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। अब मैं इसकी
कथा कहता हूँ, सो ध्यानपूर्वक सुनिये ।
प्राचीनकाल में हरिशचन्द्र नामक एक चक्रवती
राजा राज्य करता था। उसने किसी कर्म के
वशीभूत हो कर अपना सारा राज्य व धन
त्याग दिया, साथ ही अपने स्त्री, पुत्र तथा स्वयं
को भी बेच दिया। वह राजा चांडाल का दास
बन कर, सत्य को धारण करता हुआ, मृतकों
का वस्त्र ग्रहण करता रहा, मगर किसी प्रकार
भी सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा
चिंता के समुद्र में डूब कर अपने मन में विचारने
लगता कि मैं कहां जाऊँ, क्या करूं जिससे मेरा
उद्धार हो। इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत
गये। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ
था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उनको देख
कर प्रणाम किया और अपनी सब दुःख भरी
कहानी सुनाई। राजा की यह बात सुन कर गौतम
ऋषि कहने लगे कि राजन् तुम्हारे भाग्य से आज
से सात रोज़ बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा
नाम की एकादशी आयेगी, तुम विधिपूर्वक
उसका व्रत करो। इस व्रत के पुण्य के प्रभाव से
तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जायेंगे। इस प्रकार
राजा से कह कर गौतम ऋषि तो उसी समय
अन्तर्ध्यान हो गये और राजा ने उनके कथनानुसार
एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण
किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त
पाप नाश हो गये। स्वर्ग से बाजे बजने लगे और
पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने मृतक
पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा
आभूषणों के युक्त देखा। उस व्रत के प्रभाव से
उसको पुनः राज्य मिल गया और अन्त समय में
अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया।
हे राजन् ! यह सब अजा एकादशी के प्रभाव
से ही हुआ। अतः जो मनुष्य यत्न के साथ
विधिपूर्वक इस व्रत को करते हुए रात्रि
जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर
अन्त में वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं। इस
एकादशी की कथा के श्रवणमात्र से अश्वमेध
यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
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