Saturday, 29 April 2017

घर पर हिंसा होने पर क्या खेती और बाकी काम छोड़ देने चाहिए?

                   ।।  नमस्कार  ।।

चलिए आज आगे शुरू करते है। तो आज का सवाल है।

हम चक्की नहीं चलाते, धान नहीं कुटते तो हमें हिंसा नहीं लगेगी?
आप पीसा हुआ आटा, कूटा हुआ धान अपने काम में लेते हैं, तो उसे आटे को पीसने में,धान को कूटने में जो हिंसा हुई है, वह आपको लगेगी ही।
इसके बाद एक और प्रश्न है कि--
                                                   -- खेती में अनेक जीवों की हिंसा होती है, तो क्या किसान खेती ना करें?
                      नही, खेती जरूर करें, पर ख्याल रखें कि हिंसा न हो, किसान के लिए खेती करने का विधान होने से उसको पाप कम लगता है, अतः उस को पाप से डर कर अपने कर्तव्य कर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। हाँ, जहां तक बने, हिंसा ना हो, ऐसी सावधानी अवश्य रखनी चाहिए।

इससे आगे 1 और प्रश्न है।

आजकल किसान लोग फ़सल की सुरक्षा के लिए जहरीली दवाइयां छिड़कते है तो क्या यह ठीक है?
               किसान को यह काम कभी नहीं करना चाहिए। पहले लोग ऐसी हिंसा/कार्य नहीं करते थे तो अनाज सस्ता मिलता था। आजकल लोग ऐसा करते हैं तो अनाज महंगा मिलता है। देखने में ऐसा लगता है कि जीवो को मार देने से अनाज अधिक होता है, पर इसका परिणाम अच्छा नहीं होता। इससे फसलों के कुछ आवश्यक तत्व नष्ट हो जाते है।

आज के लिए इतना ही कल मिलते है। धन्यवाद जी।
इस विषय को इंग्लिश में पड़ने के लिए मेरे दूसरे ब्लॉग को खोले।
                          Pandit94.blogspot.in

                     ।। जय महाकाल।।

No comments:

Post a Comment