Wednesday, 30 May 2018

द्वितीय (अधिक) ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष 30 मई से 13 जून तक।

द्वितीय (अधिक) ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष 30 मई से 13 जून तक।
सूर्य उत्तरायण, उत्तर गोल, ग्रीष्म ऋतु

गत अधिक मास कृष्ण पक्ष की भान्ति इस पक्ष में अधिमास की व्याप्ति रहेगी, जिस कारण 13 जून तक विवाह, मुण्डन, गृहारम्भ, गृहप्रवेश आदि मंगल कृत्यों के सम्पादन तथा आभूषण, गाड़ी, भूमि आदि बहुमूल्य वस्तु के क्रय करने का निषेध रहेगा। यद्यपि पुरुषोत्तमा एकादशी, पूर्णमाशी आदि पर्वों पर एकभुक्त व्रत रखकर भगवान् सहस्रांशु (सूर्य) का पूजन, एवं सूर्य (आदित्यहृदय) स्तोत्र, सूर्य कवच व पुरुषोत्तम मास माहात्म्य का पाठ करना एवं यथाशक्ति फल, वस्त्र, अन्नापूरित कांस्य पात्र का दक्षिणा सहित ब्राह्मणों को दान करने का विशेष माहात्म्य होगा। शास्त्रों में ज्येष्ठ अधिमास का फल इस प्रकार से लिखा गया है - 'ज्येष्ठद्वये नृपध्वंसो-धान्यानि क्षितिसत्तमे।' अर्थात जिस वर्ष दो ज्येष्ठ मास आएं, उस वर्ष केंद्रीय या किसी राज्य सरकार का राजध्वंस अर्थात (राजपरिवर्तन) की प्रबल संभावनाएं बनेंगी। प्रतिकूल वर्षा, ग्रीष्म वातावरण तथा प्राकृतिक प्रकोपों के बावजूद धान्यादि का यथेष्ठ उत्पादन होगा।
2 जून को श्रीगणेश चतुर्थी व्रत है।
10 जून को पुरुषोत्तमा एकादशी व्रत है।
11 जून को सोम प्रदोष व्रत है।
12 जून को मास शिवरात्रि व्रत है।
चतुर्दशी तिथि का क्षय है।
13 जून को अमावस्या है और इस दिन ज्येष्ठ अधिक (मल) मास समाप्त हो जाएगा।

लोक भविष्य -
'सोमपुत्रो भुगुश्चैव चंद्रक्षेत्रे यदा भवेत्।
दुर्भिक्षं तत्र कुर्वाते षङ् मासांते न संशय:।।'

द्वितीय चांद्र ज्येष्ठ मास में पाँच बृहस्पतिवार होने से पश्चिमी देशों एवं पश्चिमी प्रदेशों में सीमाओं पर कहीं युद्ध, आतंक एवं हिंसक घटनाएं घटित होने के योग हैं। ता. 8 जून को शुक्र कर्क राशि में आकर राहु के साथ योग करेगा तथा मंगल के साथ समसप्तक सम्बन्ध रहेगा। जिससे चाँदी, रूई, खाण्ड, शक्कर, गुड़ में विशेष घटाबढ़ी के बाद तेजी बनेगी। देश में कहीं भयानक दुर्भिक्ष (अकाल) जैसी स्थिति बनेगी तथा आगामी छ: मास तक तेजी का रुख रहेगा।
इस चान्द्रमास में पांच बुध एवं पांच गुरुवार होने से राजनीतिज्ञों द्वारा जनता की सुख-सुविधा के लिए प्रयास होंगे।

"विग्रहः पश्चिमे देशे खड्गयुद्धं च जायते।"
लेकिन पांच गुरुवार भी इस चान्द्रमास में होने से पश्चिमी देशों में कहीं जनसंहार व उग्रवादजन्य परेशानी रहेगी।

"यदि मूलगतः सौरि: बहुपीड़ां प्रजायते।
पशूनां च नराणां च रोगपीड़ा-महत्यपि।"
इस पक्ष में मूल नक्षत्र का शनि नानाविध रोगों से पीड़ाकारक ही है।

बाज़ार का रुख - ३१ मई के लगभग रुई, कपास, सूत, सोना, चांदी, तिलहन, चावल, गुड़, खाण्ड, बिनौला, नमक ५ जून तक तेज रहेगे। ६ से १० जून तक बाजार अस्थिर
किंवा मन्दे रहें। ११ जून को अलसी, गुड़, घी में अच्छी घटाबढ़ी होगी। १२ जून के लगभग तेजी का झटका आकर, बाजार मन्द रहेंगे।

आकाश लक्षण - ता. 10 जून से बुध मिथुन राशि में आने से कहीं गर्म हवाएँ तथा कहीं छिटपुट वर्षा होने के योग बनेंगे।
३१ मई और जून की ३, ४, ६ एवं ८ से १३ जून तक उत्तराखण्ड, हि.प्र., जम्मूकश्मीर, उ.प्र, उड़ीसा, बिहार एवं
उत्तरी भारत के कुछ भागों में वायुवेग के साथ वर्षा के योग हैं। पर्वतीय भूभागों में कहीं जलाप्लाव से हानि भी होगी।


भद्रे
1 जून 12:35PM से 2 जून 1:45AM तक।
5 जून 9:17AM से 5 जून 10:17PM तक।
8 जून 1:06AM से 9 जून 12:59PM तक।
12 जून 7:34AM से 12 जून 6:04PM तक।

पंचक
5 जून 4:34AM से 9 जून 11:10PM तक।

गंडमूल
30 मई 12:55AM से 1 जून 5:53AM तक।
8 जून 11:02PM से 10 जून 10:29PM तक।

https://youtu.be/ZSZkZDdrJYc


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